"" गणतंत्र / संविधान दिवस ""
"" नियमों व सिद्धांतों को समर्पित सर्वमान्य लिखित प्रस्ताव ही संविधान कहलाता है। ""
"" विधिवत शासन प्रक्रिया हेतु सैद्धांतिक नियमावली परिपत्र ही संविधान कहलाता है। ""
"" समय, क्षेत्र विशेष, सामाजिक रीतिरिवाजों व विचारधारा की परिपूर्णता हेतु सर्व ऐच्छिक न्याय संहिता को ही संविधान कहते हैं। ""
वैसे मानस के अंदाज में -
"" स "" से समर्पण जहां सिर चढ़कर बोलता हो,
वहाँ लिखित ही नहीं मौखिक पर भी इंसान जान छिड़कता है ;
"" न् "" से न्याय संगत ढांचा जहां जितना मजबूत, पारदर्शी व समानता के भाव से युक्त हो,
वहाँ सर्वधर्म समभाव व सर्वकल्याण सुनिश्चित रहता है ;
"" व "" से वचनबद्धता जहां ईमान से बढ़कर निभाई जाती हो,
वहाँ प्रेम नही समर्पण भी अपने हर बार नये आयाम लिखता रहता है ;
"" ध "" से धर्मपरायणता जहां कर्म व मानवीय मूल्यों को ही पूजती हो,
वहाँ धर्म का मतलब ही नैसर्गिक गुण होता है ;
"" न "" से नियमपरिपूर्ण परिपत्र जहां सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ दर्ज होता हो,
वहाँ प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त ही नजर आती है ;
"" वैसे समर्पण जहां न्याय संगत ढाँचे के साथ वचनबद्धता व धर्मपरायणता को लेकर खड़ा हो,
वहाँ नियमपरिपूर्ण परिपत्र ही संविधान कहलाता है। ""
"" दिवस ""
"" कार्य योजना को समर्पित वेलाओं भरा विशेष ही दिवस कहलाता है। "
"" रोजमर्रा से कुछ अलग करने की निर्धारित घड़ी के काल खण्ड को दिवस कहते हैं। ""
"" समय चक्र पर कार्य परिणीति को अंकित करना ही उसको दिवस बनाता है। ""
"" द "" से दर्ज विशेष जहां कार्य प्राथमिकता में रहते हों,
वहाँ संचालन व क्रियान्वयन विधि बहुत ही आकर्षक नजर आती हैं ;
"" व "" से वन्दना / व्यवहार जहां कार्य की पूजा की तरह आते हों,
वहाँ निश्चित ही अवश्यम्भावी परिणाम निकलते हैं ;
"' स "" से सूरज वेला जहां दिन में कर्म ही वन्दना की परिचायक रहता हो,
वहाँ शुभ अशुभ कोई मायने नहीं रखता है ;
"' वैसे व्यवहार / वन्दना जहां दर्ज विशेष सूरज वेला में घटित हों,
वहाँ उसे दिवस ही कहते हैं। ""
"" वैसे समर्पण जहां न्याय संगत ढाँचे के साथ वचनबद्धता व धर्मपरायणता को लेकर खड़ा हो,
वहाँ नियमपरिपूर्ण परिपत्र की वन्दना हेतु दर्ज विशेष सूरज वेला को ही संविधान दिवस कहते हैं।""
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Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
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