एक फिर नये अंदाज में - """ कर्म ""
*""" अपेक्षित परिणामस्वरूप किये जाने वाले प्रयत्न ही कर्म कहलाते हैं। ""*
"" आकांक्षा की पूर्ति हेतु किये जाने वाले प्रयास ही कर्म कहलाते हैं। ""
*"" स्वप्न को यथार्थ में परिवर्तन करने हेतु किया गया परिश्रम ही कर्म कहलाता है। ""*
वैसे मानस के अंदाज में --
"" क "" से कर्त्तव्यनिष्ठा जहां जीवन की सर्वोच्च प्राथमिकता में दर्ज हो,
वहाँ आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण होना लाज़मी हो जाता है ;
"" र "" से रति जहां हर विचार से होने लगे तो,
वहाँ कार्य की दक्षता अपने चरम पर होती है ;
"" म "" से महत्वाकांक्षा जहां हर वक़्त पूरी करने की धुन सवार हो,
वहाँ निश्चय ही अभूतपूर्व परिणाम आते हैं ;
*"" वैसे महत्वाकांक्षा को पूरा करने की रति जहां कर्त्तव्यनिष्ठा से हो उसे,*
*वहाँ "" कर्म "" कहते हैं। ""*
*"" इंसान से महान व्यक्तित्व के धनी बनने तक हर संघर्ष कर्म ही तो है। ""*
"" सोने को कुंदन बनने के लिये बार - बार तप से गुजरना पड़ता है, ठीक उसी तरह मेरे हर लेखन में आपकी प्रतिक्रिया मुझे एक यथार्थवादी विचारक बनाने में मदद करेगी।""
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मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
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जवाब देंहटाएंसराहनीय 'मानस' लेखन कार्य (कर्म)।।
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