"" सन्तुष्टि ""
"" और अधिक प्रतिफल पाने की इच्छा को जहां पूर्ण विराम लग जाये तो वह साम्यावस्था ही सन्तुष्टि कहलाती है। ""
"" पूरी तन्मयता के साथ - साथ निष्कंटक जहां आनन्द रूपी मनोयोग की प्राप्ति ही सन्तुष्टि कहलाती है। ""
वैसे मानस के अंदाज में -
"" स "" से सहजता जहां स्वभाव में विद्यमान हो,
वहाँ चित्त के साथ व्यवहार कुशलता में निखार आना लाज़मी हो जाता है ;
"" न् "" से न्यूनता जहां स्वीकार्यता में आने लगे,
वहाँ मानवीय मूल्य नये आदर्श स्थापित करते हैं ;
"" त "" से तृप्ति जहां जितनी जल्दी स्वीकारोक्ति में आती है ,
वहाँ संतोषी भाव व सरलता के गुणों की प्रधानता बनी रहती है ;
"" ष् "" से षडफ़ल जहां गन्ध, रस्म, रूप, स्पर्श व शब्द के साथ अर्थ शामिल हो जाये तो,
वहाँ उसे प्राप्ति के लिये एड़ी चोटी का जोर लगना अवश्यम्भावी हो ही जाता है ;
"" ट "" से टकराव / टालमटोल जहां कार्यव्यवहार से दूर रहने लगे तो,
वहाँ कार्यदक्षता व कार्य गुणवत्ता कई गुना बढ़ जाती है ;
"" वैसे सहजता न्यूनता के साथ जहां षडफ़ल को टकराव रहित या बिना टालमटोल के तृप्ति को प्राप्त करती है तो,
वहाँ उसे सन्तुष्टि ही कहते हैं। ""
"" सर्वोच्च उल्लासिता के साथ - साथ आत्मिक शांति की जहां पराकाष्ठा हो जाये तो वह मनोभाव सन्तुष्टि ही कहलाता है। ""
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मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
"सर्वोच्च उल्लासिता...... मनोभाव संतुष्टि ही कहलाता है"
जवाब देंहटाएं👌 शानदार लेखन ।।