"" समझना ""
"" व्यक्तिगत प्रदर्शन सिद्धांत के पंचतत्व में तृतीय पड़ाव "" समझना "" है।
"" विचारों 【मतों 】 के संकलन व उनके सारगर्भित सन्देश को धारण व निस्तारण की शक्ति का आभासी होना ही समझ कहलाता है। ""
"" आपके विचार विश्लेषण, तर्क के साथ संयोजित होकर आपकी आत्मशक्ति बने तो उसे समझ कहते हैं। ""
"" निज ज्ञान का वास्तविक जीवन में आंकलन से निचोड़ तक प्रदशर्न करवाये वह समझ ही तो है। ""
वैसे मानस के अंदाज में -
"" स "" से संश्लेषण जहां जीवन या कार्यशैली का हिस्सा बनने लगे,
वहाँ कोई बिंदु अछूता रह जाये वह सम्भव नहीं ;
"" म "" से मार्मिकता जहां रिश्तों की डोर को जोड़ने का आधार बनने लगे,
वहाँ आपसी प्रेम व समर्पण कूट कूट कर भरा रहता है ;
"" झ "" से झुकाव जहां असूलों के प्रति होने लगे,
वहाँ व्यापार ही नहीं जीवन का हर पहलू में निखार आना लाज़मी है ;
"" न "" से नवाचार जहां सोच की स्वीकृति में प्राथमिकी में दर्ज हो,
वहाँ नये नये आयामों को खुले मन से सहज ही स्वीकृति मिलती है ;
"" वैसे संश्लेषण जहां मार्मिकता प्रति झुकाव के साथ हो,
वहाँ नवाचार के प्रति आतुरता दिखे वही तो समझना कहलाता है। ""
पूरा पढ़ने के लिए लिंक -
https://www.facebook.com/manasjilay/
https://www.realisticthinker.com/
मानस जिले सिंह 【 यथार्थवादी विचारक】
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