"" क्यों ""
★★ आत्मचिंतन / कार्यकारण सिद्धांत के पंचतत्व में
द्वितीय पड़ाव "" क्यों "" ही तो है। ★★
"" लक्ष्य साधने का अभिप्राय बिना क्यों के सम्भव ही नहीं। ""
"" परिणाम की परिणीति ध्येय की प्रगाढ़ता पर निर्भर करती है और वह बगैर क्यों के मुमकिन ही नहीं। '"
"" प्रयोजन का आधार स्तम्भ क्यों ही तो है। ""
वैसे मानस के अंदाज में -
"" क् "" से कार्यशैली जहां वैज्ञानिकता व तार्किकता के आधार पर गठित की जाती है,
वहाँ परिणाम सदैव फलदायी के साथ सकारात्मक ही निकलते हैं ;
"" य "" से योजना जहां किसी भी लक्ष्य को हासिल करने हेतु बनाई जाये तो,
वहाँ सिद्धि की प्राप्ति योजना के क्रियान्वयन पर ही निर्भर करती है ;
"" वैसे कार्य जहां योजना के अनुरूप हो वहाँ निर्धारक मूल तत्व क्यों ही तो है। ""
"" क्यों प्रश्न आशय / इरादे का प्रतिनिधित्व करता है। ""
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मानस जिले सिंह 【 यथार्थवादी विचारक】
Shandar
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