""" कर्म ""
*""" अभिलाषा फलस्वरूप की जाने वाली कोशिश ही कर्म कहलाती है। ""*
"" पूर्व निर्धारित पुष्टि की सिद्धि हेतु किये जाने वाली मेहनत ही कर्म कहलाती है। ""
*"" वांछित निष्कर्ष हेतु किया जाने वाला संघर्ष ही कर्म कहलाता है। ""*
वैसे मानस के अंदाज में --
"" क "" से कष्ट जहां जीवनशैली का अभिन्न अंग बन जाये ,
वहाँ करुणाशील व व्यवहारिक व्यक्तित्व बनना अवश्यम्भावी हो जाता है ;
"" र "" से राह जहां कार्यव्यवहार के तरीके मे शामिल होने लगे तो,
वहाँ कार्य के प्रति प्रेम व उत्साह बना रहना लाजमी हो जाता है ;
"" म "" से मंजिल जहां हर वक़्त पाने को प्राणी ललायित रहता हो ,
वहाँ हर घड़ी अद्वितीय परिणाम आने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं ;
*"" वैसे कष्ट की राह पर जहां मंजिल पाने की उम्मीद हो तो,*
*वहाँ हर सार्थक युक्ति ही "" कर्म "" कहलाती हैं। ""*
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मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
मानस के अंदाज में
जवाब देंहटाएं'कर्म'
की *व्याख्या* लाजबाव ।
🙏🙏💐💐
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