--- "" विषय "" ---
*"" मानसिक सन्तुष्टि या व्यवहारिकता या उपयोगिता में लाने हेतु विचारणीय घटक ही विषय कहलाता है। ""*
"" अध्ययन प्रक्रिया या परिचर्चा जब किसी बिन्दु विशेष को केंद्रित करते हुए हो तो विषय कहलाता है। ""
*"" मूल बिंदु के इर्द गिर्द होते हुए भी निर्धारित सीमा के अंतर्गत उस पर उल्लेख होना ही विषय कहलाता है। ""*
*वैसे मानस के अंदाज में ---*
"" व "" से विसंगति जहां कार्यव्यवहार में बनी रहती है ,
वहाँ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी रहता है ;
"" ष "" से षाड़व जहां कार्यशैली व कार्यकुशलता का बाधक बने,
वहाँ श्रेष्ठता के पैमाने पर नहीं संख्याबल की ही बात होती है ;
"" य "" से यथास्थिति जहां शुरुआती कार्य में ही जानना जरूरी हो,
वहाँ आंकलन निपुण व कुशल प्रबंधन के हाथों में होना स्वभाविक है ;
वैसे "" विसंगति व षाड़व जहां यथास्थिति के साथ परिलक्षित हो,
वहाँ वह विषय कहलाता है। ""
मानस पंथ के अनुसार -
*"" उक्त विचार जिस पर अनुसंधान या मंथन की समय विशेष पर आवश्यकता हो , विषय कहलाता है। ""*
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मानस जिले सिंह
【यथार्यवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पंथ
उद्देश्य - रूढ़िवादी, आडम्बर व पाखंड के हरेक विचार को विषय के रूप संज्ञान में लेकर मंथन के लिए प्रस्तुत करवाना।
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