"" सोचना ""
"" व्यक्तिगत प्रदर्शन सिद्धांत के पंचतत्व में द्वितीय पड़ाव "" सोचना "" है।
"" समयानुकूल चाल चलन सोच को ही परिलक्षित करता है। ""
"" सोच समकालीन चुनाव का बेहतरीन प्रदर्शन ही तो है। ""
"" यथार्थ में चरितार्थ होता प्रदर्शन सोच ही तो है। ""
वैसे मानस के अंदाज में -
"" स "" सारगर्भित जहां बातें सिर्फ जुमले ना बन पायें तो,
वहाँ गूढ़ चिंतन व मनन होना अवश्यम्भावी होता है ;
"" च "" चयन जहां होने पर अपने निर्णय पर अडिग रहना प्राणी सीख जाये,
वहाँ सार्थकता व सामर्थ्यता दोनों अकल्पनीय परिणाम दर्शाती हैं ;
"" न "" निरन्तरता जहां कार्य में बनी रहती है ,
वहाँ हुनर तराशने की जरुरत नहीं वास्तविकता में ही परिलक्षित होता है ;
"" वैसे सारगर्भित चयन में निरन्तरता बने रहना ही तो सोचना कहलाता है। ""
"" स्वविवेक , स्वतंत्र व समर्पणभाव से युक्त विचारों के चुनाव की सतत व निर्बाध प्रक्रिया ही सोचना कहलाती है। ""
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मानस जिले सिंह 【 यथार्थवादी विचारक】
Shandar
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