"" कब ""
★★ आत्मचिंतन / कार्यकारण सिद्धांत के पंचतत्व में
तृतीय पड़ाव "" कब "" ही तो है। ★★
"" कार्य सम्पूर्णता की घड़ी जब निश्चित हो तो वह कब से ही सम्बोधित होती है। ""
"" वक़्त की धुरी कब से ही तो अपनी गिनती का आरम्भ करवाती है। ""
"" मौका जब लक्ष्य की साध्यता से सिद्धार्थ दिखाने का हो तो काल का निर्धारण बिना कब तक के सम्भव ही नहीं। ""
"" वैसे मानस के अंदाज में -
"" क "" से कार्यसिद्धि जहां प्राणों की बाजी से बनी हो,
वहाँ जादुई आंकड़ों के साथ ही परिणाम नजर आते हैं ;
"" ब "" से बेमियादी पाबंदी जहां भी कार्य निस्तारण हेतु लगाई जाती है,
वहाँ कभी कभी सफलता आंकड़ों पर नहीं मेहनत के तरीकों पर सन्तोष जाहिर करवाती है ;
"" वैसे कार्यसिद्धि की बाध्यता या बेमियादी पाबंदी ही कब / कब तक से रूबरू करवाती है। ""
"" कब प्रश्न समयावधि का प्रतिनिधित्व करता है। ""
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मानस जिले सिंह 【 यथार्थवादी विचारक】
"ब" से बेमियादी......... संतोष जाहिर करवाती है ।।।
जवाब देंहटाएंशानदार विश्लेषण 👌✍️
"ब"से बेमियादी..... संतोष जाहिर करवाती है ।।
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर विष्लेषण