"" आत्म ""
"" स्वयं के मौजूदगी की अभिव्यक्ति ही आत्म है। ""
"" अपने वजूद की सैद्धांतिक सहमति ही आत्म है। ""
"" खुद को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुतिकरण ही आत्म कहलाता है। ""
मानस के अंदाज में -
"" अ "" से अस्तित्व जहां वरीयता में खुद को आगे रखने की कवायद करता हो,
वहाँ संवैधानिक या असंवैधानिक कुछ ज्यादा मायने नहीं रखता है ;
"" त् "" से तार्किकता जहां विचारों में बनी रहती है,
वहाँ गहराई से मंथन होना लाजमी है ;
"" म "" से मौजूदगी जहां अच्छे विचारों की बनी रहती है,
वहाँ शालीनतापूर्वक व्यवहार करने की प्रवृत्ति भी बनी रहती है ;
"" वैसे अस्तित्व जहां तार्किकता के साथ मौजूदगी दर्ज करे, वही आत्म है। ""
पूरा पढ़ने के लिए लिंक -
https://www.facebook.com/manasjilay/
https://www.realisticthinker.com/
मानस जिले सिंह 【 यथार्थवादी विचारक】
Nice 👍
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