"" श्रद्धा ""
"" श्रेष्ठता के प्रति भावुक व अनन्य प्रेम को दर्शाती करबद्ध वन्दना ही श्रध्दा कहलाती है। ""
"" दूसरे के प्रति निःशब्द अन्तर्मुखी सच्ची आराधना या निवेदन ही श्रद्धा कहलाती है। ""
मानस के अंदाज में -
"" श्र "" से श्रीमुख जहां वचनों की धार्मिक व्याख्या के लिए अपना प्रयोग देता हो,
वहाँ सिद्ध या देव ही श्री की संज्ञा लेते हैं ;
"" र "" से रहनुमा जहां ईश्वर तुल्य हो,
वहाँ समर्पण व आस्था कूट कूट कर भरी रहती है ;
"" ध "" से धैर्य जहां शालीनता का परिचय देने लगे,
वहाँ व्यक्तित्व में निखार आना लाज़मी है ;
"" द "" से दयामयी दरख्वास्त जहां अपने से श्रेष्ठ से हो तो,
वहाँ प्रतिफल भी अभूतपूर्व देखने को मिलते हैं ;
"" वैसे श्रीमुख जहां रहनुमा से धैर्य के साथ दयामयी दरख्वास्त करे वहाँ वह श्रद्धा ही है। ""
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Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
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