"" श्रद्धांजलि ""
"' किसी देव पुरूष के प्रति समर्पण व आस्था में अश्रुधारा का बहना ही श्रद्धांजलि कहलाती है। ""
"" श्रेष्ठ आत्मा को भाव या हस्त द्वारा समर्पित भाव विभोर आदर को ही श्रद्धांजलि कहते हैं। "'
मानस के अंदाज में -
"" श्र "" से श्रीयुक्त जहां बोल में श्रेष्ठ या महान व्यक्तित्व हेतु आदर के लिए प्रयोग किया जाये,
वहाँ वे लोग सिद्ध या देव की संज्ञा में आ जाते हैं ;
"" र "" से रहबर जहां ईश्वर समान बनने लगे ,
वहाँ स्वामिभक्ति कर्म के साथ विचारों में भी झलकती है ;
"" ध "" से धीरज जहां सौम्यता का परिचय देने लगे,
वहाँ व्यक्तित्व सूरज के समान प्रकाशवान दिखता है ;
"" द "" से दयादृष्टि की भावना जहां अपने से श्रेष्ठ से होने लगे,
वहाँ प्रतिफल भी अभूतपूर्व देखने को मिलते हैं ;
"" वैसे श्रीयुक्त या रहबर से जहां धीरज के साथ दयादृष्टि / देयता की भावना हो,
वहाँ वह श्रद्धा बन जाती है। ""
"" अ "" से अर्पण जहां अंतर्मन व निष्कपट से हो,
वहाँ समर्पण व प्रेम के साथ सानिध्य भी उपहार स्वरूप मिलता है ;
"" न "" से नयननीर जहां किसी अपने की याद को ताजा करता हो,
वहाँ प्रेम व आस्था दोनों का संगम देखने को मिलता है ;
"" ज "" से जज्बा जहां कुछ कर गुजरने का हो,
वहाँ कर्म को मेहनत की भट्टी में से गुजरना ही पड़ता है ;
"" ल "" से लयबद्ध जहां कार्यशैली का नियम बनने लगे,
वहाँ कार्य करने में आनन्द के साथ साथ गुणवत्ता भी बढ़ती है ;
"" वैसे श्रीयुक्त या रहबर से धीरज के साथ दयादृष्टि / देयता की भावना जहां प्रबल हो ,
वहाँ अपर्ण में नयन नीर वो भी जज्बे के साथ या हस्त द्वारा लयबद्ध प्रार्थना ही श्रद्धांजलि कहलाती है। ""
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Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
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