गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

Ravana Slaughter / रावण वध

"" रावण वध "" या 
"" सुनियोजित अपने ही कुल का सामुहिक उद्धार "" या
"" स्त्री के सम्मान हेतु प्रतिकार की परिणीति "" या
"" श्रेठता को सिद्ध करने की प्रतिस्पर्धा में अपने ही कुल आहुति ""

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"" महाराजा दशरथ द्वारा राम को वनवास फिर भी उसकी पत्नी व भाई का अटूट समर्पण। ""

"" विवाह के प्रेम प्रस्ताव पर लक्ष्मण द्वारा सूपर्णखा का नाक काटना, क्या युद्ध की रणभेरी की शुरुआत न थी। ""

"" सुग्रीव को न्याय के नाम पर एकतरफा संवाद और बाली का छुपकर वध , क्या यह भी छल व बल का प्रदर्शन न था। ""

""" विभीषण के साथ मैत्री सन्धि क्या युद्ध कौशल में भेद नीति को प्रकट न करती है, जिससे अजेय रावण को हराना सम्भव हुआ। ""

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"" घोर तपस्या व अनुष्ठान विधि में अपने ही सिर की 9 बार आहुति देने से वरदान की प्राप्ति हुई।""

"" कुशल व क्रूर योद्धा, महाशक्तिशाली व प्रकाण्ड विद्वान होने से ही नव ग्रहोँ को बंदी बनाना सम्भव हुआ । "" 

"" अपनी बहिन के अपमान के प्रतिकार में सीता का हरण व अशोक वाटिका में सम्मानपूर्वक बन्दी बनाना। राम के सामर्थ्य को चुनौती देने के साथ एक अमर्यादित, लांछनीय कृत्य। ""

"" इंद्रजीत जैसा बेटा व कुम्भकरण जैसे पराक्रमी व बलशाली शूरवीर की युद्ध में आहुति देना। ""

"" युद्ध से पूर्व राम के यज्ञ में रावण द्वारा ब्राह्मण रूप में पूजन और विजय का आशीर्वाद देने वाला घमंडी या सिद्धांतहीन कैसे जान पड़ता है।""

"" अपने ही राज्य में विभीषण को राम के समर्थक के रूप में पहचान व सरंक्षण और फिर देश निकाला। जहां युद्ध जैसी विभीषिका द्वार पर खड़ी हो तो घर के भेदी को निकालना। अपने सामर्थ्य पर अतिविश्वास या फिर सुनियोजित लक्ष्य। ""

कहा जाता है राम 12 कलाओं में निपुण माने जाते हैं और रावण 14 कलाओं के स्वामी थे तो  ----

★ एक नजर में यह अपने कुल का उद्धार या फिर 
★ अपनी बहिन के अपमान के प्रतिकार में अपने सर्वस्व की आहुति।
या फिर
★ अतिआत्मविश्वास भुजाओं की शक्ति पर व वरदान के अंहकार ने सामुहिक  आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया।


मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य -  ऐतिहासिक सामाजिक उत्पीड़न को व्यवहारिकता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

Battle of Mahabharat / महाभारत का युद्ध

"" महाभारत का युद्ध  --
दुर्योधन की महत्वाकांक्षा या 
स्त्री जाति के दमन,दासता व शोषण में प्रकृति का रोष या
तीन महारथियों के अनैतिक मौन का परिणाम ""  """

★★★ भीष्मपितामह से सम्बंधित प्रसंग ---

"" राजा शांतनु की कामवासना, लम्पटता के चलते उनके पुत्र देवव्रत को आजीवन ब्रह्मचर्य की भीष्म प्रतिज्ञा लेने पर मजबूर किया। ""

"" स्वयंवर को जीतने के उपरांत अंबिका व अम्बालिका का विवाह अपने भाई विचित्रवीर्य से करवाना तथा अम्बा का बदले के लिए तप और फिर देहत्याग व फिर शिखण्डनी के रूप में वरदान की प्राप्ति। ""

"" अंधे राजा धृतराष्ट्र से गंधारी के विवाह के सूत्रधार गंगापुत्र भीष्म ही थे। इस अपमान के बदले की आग से हस्तिनापुर के विध्वंस लिखने को शकुनि की छल नीति भी  कहा जाता है।""

★★★ गुरु द्रोणाचार्य के सम्बंधित प्रसंग -

"" गुरु द्रोणाचार्य का निज अपमान का प्रतिकार अपने पांडव शिष्यों से गुरुदक्षिणा के रूप में पांचाल नरेश द्रुपद की आधी सम्पत्ति छीनकर व उन्हें बन्दी बनाकर किया। """

★★★ दानवीर कर्ण के सम्बंधित प्रसंग -

"" अनजाने में शूद्र वर्ग से पीड़ा के चलते राजकुमार अर्जुन से सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर की प्रतियोगिता मानो कब असूल व सिद्धांतों के बलि चढ़ा गई। ""

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"" द्रुपद कन्या द्रोपदी को स्वयंवर में धनुर्धर अर्जुन ने जीता । माता के वचनों की पूर्णता में द्रौपदी पांचाली में भी बदल गयी। द्यूत सभा में उसे दासी के रूप में हार भी दिया गया और रही कही कस्रर कौरवों ने भरे दरबार में निर्वस्त्र करने का प्रयास किया। इतने अधर्म में सभी शूरवीर निःशब्द बने रहे। ""

★★★ दुर्योधन का अति महत्वाकांक्षी , क्रूर व अधर्मी होने की असल वजह के साथ साथ महाभारत युद्ध के सूत्रधार का भी होना - 

गंगा पुत्र भीष्मपितामह, गुरु द्रोणाचार्य व महारथी कर्ण का उनके पक्ष में अनैतिक मौन के साथ भी तटस्थ खड़े रहना रहा।

◆◆◆◆ इसीलिये कहता हूँ बुद्धिमान के मौन ज्यादा नुकसानदायीं है अपितु अन्य अलगाव, अराजकता या हिंसात्मक व्यवहार। ◆◆◆◆


मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य -  सामाजिक उत्पीड़न को व्यवहारिकता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

Meaning of Relationship / रिश्ते का भावार्थ

"" रिश्ता एक प्यार व सुरक्षा की छत्रछाया या सपनों की सीढ़ियाँ या फिर भावनात्मक बेड़ियाँ  ""

"" अंतर्मन से प्यार व समर्पण को परिलक्षित करने का अहसास ही रिश्ता है। ""

"" एक ही गर्भ या शुक्राणुओं से जुड़े रक्त बन्धन भी रिश्तों का निर्माण करते हैं। ""

"" एक ही कटुम्ब या ध्येय या जीवन शैली के बीच अनन्य लगाव व त्याग को दर्शाता मनोभाव ही रिश्ता कहलाता है। ""

"" एक दूसरे के हितों रक्षा, सम्मान या विरह की वेदना के भाव भी जहां मौजूद हो तो वह रिश्ता है। ""

रिश्तों की बलि पहले भी चढ़ती आयी है परन्तु वर्तमान में स्थिति मतलबपरस्त तो कहीं भयावह ही बनी हुई है। 

★ आजकल व्यापार को साधने में बनावटी रिश्तों का बोलबाला रहता है।

★★ रिश्तों की चासनी में आजकल के बच्चे माता पिता का अपने हितों को साधने में सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं।

★★★ रिश्तों के नाम सबसे ज्यादा शारिरीक व मानसिक शोषण का शिकार आजकल पत्नी / प्रेमिका नाम का रिश्ता रहता है।

शेष..........................वीडियो सन्देश
से इस सन्दर्भ की सरल,स्पष्ट व सुसंगत व्याख्या जल्दी ही प्रस्तुत करूँगा।

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामाजिक समस्याओं को व्यवहारिकता के साथ रखने में अपनी भूमिका का निर्वहन करना।

Meaning of Panth / पँथ का भावार्थ

Meaning of Panth / पँथ का भावार्थ

"" आध्यात्मिकता पर सवार होकर ईश्वर की प्राप्ति का मार्गप्रशस्तीकरण ही पँथ कहलाता है। ""

"" मोक्ष की आकांक्षा में अनवरत अध्यात्म का अनुसरण मार्ग ही पँथ है। ""

"" जन्नत की चाहत में उसकी रजा / रसूल को समर्पित जीवनशैली ही पँथ कहलाती है। ""

★★★ ईश्वरीय शक्ति को रिझाने, मनाने में आस्था को समर्पित पूजा पद्वति / प्रार्थना या इबादत का असूल ही पँथ कहलाता है। ★★★

वैसे आम भाषा में -
""" भगवान को समर्पित भाव में सगुण / निर्गुण भक्ति मार्ग ही पँथ कहलाता है। """

इस संसार में जो भी लोग पूजा पद्धति में विश्वास रखते हैं वे पँथ के अनुयायी हैं।

अब मानस पँथ वर्तमान पूजा पद में विश्वास नहीं करता तो फिर वह पँथ कैसे ?

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामान्य समझ को व्यवहारिकता के साथ रखने में सहायक की भूमिका का निर्वहन करना।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

एक निर्णय का फल या कीमत

"" एक निर्णय का फल या कीमत वक़्त  और परिस्थितियों पर निर्भर करती है ""

 हर पल इंसान को निर्णय की प्रक्रियाओं से रूबरू होना ही होता है,
वह कभी सहज, तो कभी विषम, तो कभी जटिल भी हो सकती हैं।

कुछ निर्णय के परिणाम तुरंत या समकालीन, तो कभी दीर्घकालिक भी होते हैं।

निर्णय जब गलती में तब्दील होता है तो असहज, काफी दुःखद, तो कभी कभार अत्यंत पीड़ादायक भी रहता है।

★★★ जब गलती दूसरों से हो तो - दण्डस्वरूप शर्मिंदगी , सजा व चालान की उम्मीद रखता है।

★★★ जब गलती अपनों से हो तो - सहजता, सम्मानजनक समझौता व दण्ड को भी उपहार स्वरूप भेंट प्रदान करवाने की आस रखता है।

मनुष्य की यह विकृत मानसिकता व दोगलापन समाज को स्वार्थ व संकीर्णता की ओर अग्रसर करवाता है।

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - इंसान के अस्तित्व को व्यवहारिकता के साथ रखने में स्वंय की भूमिका का निर्वहन करना।

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

Religion is not a system of worship

"" धर्म कोई पूजा पद्धति नहीं अपितु सर्वकालिक नियम है ""

"" शाश्वत, अनवरत, निर्बाध गति से चलने वाला सृष्टि का सर्वमान्य नियम ही धर्म कहलाता है। ""

"" किसी भी वस्तु ,वनस्पति या प्राणित्व का नैसर्गिक गुण ही वास्तविक रूप ही धर्म कहलाता है। "

"" साधारण शब्दों में प्रकृतित्व में निहित अंतर्निहित गुण ही धर्म है। ""

जैसे मानव में मनुष्यत्व , अश्व में अश्वत्व आदि

और थोड़ा विस्तृत श्रृंखला में प्रकृति पंचतत्व से मिलकर बनी है। 
★ भूमि से गंध
★ जल से स्वाद
★ वायु से स्पर्श
★ अग्नि से रंग
★ आकाश से शब्द का बोध होता है।

धर्म को पूजा पद्धति कहना कालांतर में भाषा शैली का विकृत रूप का एक उदाहरण है और कुछ नहीं।

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामान्य ज्ञान को व्यवहारिकता के साथ रखने में सहायक सिद्ध होना।

रविवार, 20 फ़रवरी 2022

"" झूठ तो ज़नाब झूठ ही होता है ""

"" झूठ तो ज़नाब झूठ ही होता है वह भला निष्पाप कहाँ होता है ""

"" असल में वास्तविकता को छुपाते हुये उसी सन्दर्भ में व्यवहार से निज लाभ का आधार ही झूठ होता है। ""

"" दूसरे से आचार विचार द्वारा हित साधना में अपने पक्ष की हकीकत पर पर्दा डालना ही झूठ है। ""

पूरे संसार में बिना स्वार्थ के कहाँ कुछ होता है -

★ कहीं झूठ सफेद तो कहीं ,
★ झूठ काला भी हो जाता हैं।

सबसे बड़ा झूठ तो 
"" इस संसार में निःस्वार्थ रहना। ""

◆ ◆ जहां पहले से स्वार्थ को जता दिया जाये  तो मानो कि आप छल से बच गये। ★★

"" सत्य की आस में ही छल की प्राप्ति होती है। "" 

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - सामान्य ज्ञान को व्यवहारिकता के साथ रखने में सहायक सिद्ध होना।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

TRUE WORDS / मिथ्या वचन

"" सत्य या फिर अकाट्य कर्णप्रिय मिथ्या कथन ""

★ ★ पूर्ण सत्य एक भ्रम और कुछ नहीं ★★

"" सत्य वे कथन जिसका अभी तक खण्डन नहीं हुआ है। ""

"" वे कर्णप्रिय कथन जिन्हें अकाट्य प्रमाणों से सिद्ध किया जा चुका है उन्हें सत्य कहा जाता है। ""

★★★ "" वर्तमान और निकट भविष्य में जिसे जब तक मिथ्या साबित न किया जा सके वे कथन सत्य कहलाते हैं। "" ★★★

इस संसार में कुछ भी पूर्ण सत्य नहीं है और ना पूर्ण रूप से झूठ।

सत्य वचन के प्रकार -

●  निर्लोभ सत्य
●  व्यवहारिक सत्य / आंशिक स्वार्थ सिद्धि सत्य
●  अर्धसत्य
●  कर्णप्रिय सत्य

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य - भ्रमजाल से व्यवहारिकता की ओर अग्रसर करवाने में अपनी भूमिका अदा करना।

बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

"" ना कोई पुस्तक "" पवित्र "" व ना ही अनुपयोगी ""

"" ना कोई पुस्तक "" पवित्र ""  व  ना ही अनुपयोगी होती है। ""

★★★ ज्ञान किसी पुस्तक में नहीं उसकी व्याख्या में ही निहित होता है। ★★★

जिसकी जैसी विवेचना वैसा ही विवेक आधारित संवाद या अभिव्यक्ति।

वरना एक ही विषय पुस्तक को  पढ़ने वाले कुछ अज्ञानी ना रहते या कुछ विद्वान ना बन पाते।

★  एक पुस्तक जब किसी वर्ग विशेष का पवित्र ग्रन्थ  के साथ - साथ जीवन शैली बनने लगे और ऊपर से अलग - अलग स्वार्थ सिद्धि पूर्ति करती उसकी व्याख्या निश्चित ही श्रेष्ठता की होड़ /अलगाव / कट्टरता / समाज के खण्डित / या फिर विध्वंस का मार्ग प्रशस्त करती है। ★ 

ज्ञान या निहितार्थ मानवीय मूल्यों के केन्द्रित  होने पर ही सर्वश्रेष्ठ व सर्वकल्याणकारी साबित होता है।

स्पष्टता से जानने व समझने के लिए वीडियो सन्देश की प्रतीक्षा करें।

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी - मानस पँथ
उद्देश्य -  शिक्षा का व्यवहारिक व मानवीय मूल्यों के केंद्रित होने पर बल।

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

Meaning of Guru / गुरुनानक देव के जन्मदिन की बधाई

 गुरु शब्दों में :- 


"" कोई भी प्राणी या तत्व ""

जो जीवन जीने की कला जिसमें

【प्राणित्व / नैतिक मूल्य, अक्षर ज्ञान, स्वावलंबन , अध्यात्म- बोध】 

किसी भी मार्ग  को प्रशस्त करवाता है,

वह गुरू कहलवाता है।


।। ...........................।।


आज एक महान धर्म निरपेक्ष संत , सद्गुरु , जगतगुरु एवं उच्च आदर्श पुरूष का जन्म हुआ था।


उस अलौकिक, दिव्य एवं असाधारण शक्ति ने पूरे संसार को करूणा, दया के वशीभूत हो संगत व पंगत नियम के अधीन मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाया।


हमें  उनके आदर्शों को जीवन में आत्मसात ही नहीं जन जन तक पहुंचाना चाहिए।।


यही सच्ची गुरुचरणों में वन्दना , श्रद्धा व समर्पण होगा। 


इस महान संत को धर्म विशेष के बंधन में बांधना उनके विराट , असीम व अद्वितीय व्यक्तित्व को छोटा करना होगा। अतः उनके जाति,धर्म व आडम्बर मुक्त जीवन की संकल्पना को मैं "" मानस '" जरूर जीवन में चरितार्थ करने का प्रयास करूंगा।

।। ........................।।

https://www.facebook.com/manasjilay/

https://www.realisticthinker.com/

गुरुनानक देव के जन्म दिवस पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।

                                         

मानस जिले सिंह

【यथार्थवादी विचारक"】

अनुयायी - मानस पँथ

उद्देश्य - जीवन में सरलता, स्पष्टता व पारदर्शिता के साथ जीवन जीना।

Ravana Slaughter / रावण वध

"" रावण वध "" या  "" सुनियोजित अपने ही कुल का सामुहिक उद्धार "" या "" स्त्री के सम्मान हेत...

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